Biography of firon in hindi
रोमन–फ़ारस युद्ध
रोमन–फ़ारस युद्ध | |
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प्राचीन रोम और फारसी साम्राज्य के संघर्ष का भाग | |
योद्धा | |
प्राचीन रोम साम्राज्य (गणराज्य और साम्राज्य) | पार्थियन साम्राज्य (54 ईसा पूर्व– ईस्वी) सासानी साम्राज्य (– ईस्वी) |
सेनानायक | |
क्रासस जूलियस सीज़र ट्राजन सेप्टिमियस सेवरस हेराक्लियस | शापुर प्रथम शापुर द्वितीय खुसरो प्रथम खुसरो द्वितीय |
शक्ति/क्षमता | |
लगभग 50,–, सैनिक (विभिन्न अभियानों में) | लगभग 30,–80, सैनिक (घुड़सवार तीरंदाज, फालांक्स, सशस्त्र पैदल सेना) |
मृत्यु एवं हानि | |
हजारों सैनिक मारे गए और बंदी बनाए गए (विशेष रूप से कर्रहे और शापुर के अभियानों में) | हजारों सैनिक मारे गए, विशेष रूप से ट्राजन और हेराक्लियस के अभियानों में |
रोमन–फ़ारस युद्ध (54 ईसा पूर्व – ईस्वी) प्राचीन रोम और फारसी साम्राज्य (पार्थियन और सासानी वंश) के बीच से अधिक वर्षों तक चले संघर्षों की एक श्रृंखला थी। ये युद्ध पश्चिमी यूरेशिया के दो सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों के बीच राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक वर्चस्व की लड़ाई थे। दोनों साम्राज्य अपने आंतरिक संकटों और बाहरी आक्रमणों से जूझते हुए एक-दूसरे के खिलाफ लगातार टकराते रहे। इन संघर्षों ने प्राचीन दुनिया की भू-राजनीतिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया।
इन युद्धों के दौरान, काकेशस, मेसोपोटामिया, और आर्मेनिया जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर नियंत्रण के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा देखी गई। सातवीं शताब्दी तक, दोनों साम्राज्य इतने कमजोर हो गए थे कि वे इस्लामी अरबी सेनाओं के आक्रमण का सामना नहीं कर सके, जिसके परिणामस्वरूप फारसी साम्राज्य का पतन हुआ और रोम अपनी पूर्वी शक्ति खो बैठा।
पृष्ठभूमि
[संपादित करें]रोम और पार्थिया के बीच पहला संपर्क 96 या 92 ईसा पूर्व में हुआ, जब रोमन जनरल सुल्ला ने पार्थिया के राजा मिथ्रिडेट्स द्वितीय के एक प्रतिनिधि से मुलाकात की। इस बैठक में, दोनों पक्षों ने यूफ्रेटिस नदी को अपनी सीमा मानते हुए मित्रता की शपथ ली। हालाँकि, यह केवल एक प्रतीकात्मक सीमा थी। रोम और पार्थिया के बीच काकेशस और मेसोपोटामिया के रणनीतिक क्षेत्रों को लेकर विवाद लगातार बना रहा।[1]
काकेशस का क्षेत्र, विशेष रूप से आर्मेनिया, दोनों साम्राज्यों के लिए महत्वपूर्ण था। आर्मेनिया न केवल एक बफर राज्य था, बल्कि इसमें रणनीतिक पहाड़ी दर्रों और घुड़सवार सेना के लिए उत्कृष्ट चारागाह भी शामिल थे। इसी तरह, मेसोपोटामिया अपनी समृद्धि और सामरिक स्थिति के कारण रोम और पार्थिया दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र था।[1]
प्रारंभिक संघर्ष
[संपादित करें]रोम और पार्थिया के बीच पहला बड़ा सैन्य टकराव 53 ईसा पूर्व में कर्रहे (आधुनिक हर्रान, तुर्की) की लड़ाई में हुआ। रोम के प्रोकोन्सल मार्कस लाइसिनियस क्रासस ने पार्थिया पर आक्रमण किया, लेकिन पार्थियनों की तेज-तर्रार घुड़सवार सेना ने रोमन सेना को बुरी तरह हराया। पार्थियनों ने अपनी घुड़सवार तीरंदाजी की रणनीति और भारी कवचधारी घुड़सवारों (कैटाफ्रैक्ट्स) का उपयोग करते हुए रोमनों को घेर लिया।[1]
क्रासस इस संघर्ष में मारे गए, और लगभग 20, रोमन सैनिक या तो मारे गए या बंदी बना लिए गए। कर्रहे की हार रोम के लिए एक बड़ा झटका थी। इसने रोम को पार्थिया की सैन्य क्षमता का एहसास कराया और प्रतिशोध की भावना को जन्म दिया। जूलियस सीज़र ने पार्थिया पर आक्रमण की योजना बनाई, लेकिन उनकी हत्या के कारण यह संभव नहीं हो सका।[1]
पार्थिया के साथ रोमन कूटनीति और संघर्ष
[संपादित करें]सीज़र के उत्तराधिकारी ऑगस्टस ने पार्थिया के साथ कूटनीति के माध्यम से संबंध स्थापित किए। 20 ईसा पूर्व में, पार्थिया के राजा फ्राटेस चतुर्थ ने कर्रहे की लड़ाई में खोए हुए रोमन सैन्य मानकों को लौटाया। इस कूटनीतिक जीत ने रोम में ऑगस्टस की लोकप्रियता को बढ़ाया और दोनों साम्राज्यों के बीच एक अस्थायी शांति स्थापित की।[2]
हालाँकि, यह शांति लंबे समय तक नहीं टिक सकी। पार्थिया और रोम के बीच आर्मेनिया पर नियंत्रण को लेकर विवाद बार-बार सामने आया। रोम ने कई बार पार्थियन साम्राज्य के खिलाफ सैन्य अभियान चलाए। सम्राट ट्राजन (98– ईस्वी) ने पार्थिया के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाते हुए मेसोपोटामिया और पार्थियन राजधानी क्टेसिफोन पर कब्जा कर लिया। यह रोम के साम्राज्य का सबसे बड़ा विस्तार था, लेकिन ट्राजन की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी हैड्रियन ने इन क्षेत्रों को छोड़ दिया।[3]
सासानी वंश और संघर्ष
[संपादित करें]ईस्वी में, अर्दाशीर प्रथम ने अर्सासिद वंश को हराकर सासानी साम्राज्य की स्थापना की। सासानी शासकों ने फारसी साम्राज्य के पुराने गौरव को पुनः स्थापित करने और मेसोपोटामिया पर रोमन प्रभाव को खत्म करने का प्रयास किया। शापुर प्रथम (– ईस्वी) ने तीन बड़े सैन्य अभियान चलाए। उन्होंने मेसोपोटामिया और सीरिया में हमला किया, एंटियोक की राजधानी को लूटा, और कई रोमन नागरिकों और सैनिकों को बंदी बना लिया।[4]
इन बंदियों को फारस के विभिन्न क्षेत्रों में बसाया गया और उनसे महत्वपूर्ण निर्माण कार्य करवाए गए। शापुर द्वितीय (– ईस्वी) ने भी रोम के खिलाफ कई सैन्य अभियान चलाए। उन्होंने मेसोपोटामिया पर आक्रमण किया और कई किलों पर कब्जा किया। हालाँकि, रोमन सम्राट कॉन्सटेंटियस द्वितीय और जूलियन ने काउंटर हमले किए।[5]
निर्णायक संघर्ष
[संपादित करें]सातवीं शताब्दी में, रोम और सासानी साम्राज्य के बीच अंतिम बड़े युद्ध हुए। ईस्वी में, सासानी राजा खुसरो द्वितीय ने रोम पर हमला किया और ईस्वी में यरूशलेम पर कब्जा कर लिया। उन्होंने पवित्र अवशेषों को लूट लिया, जिसमें "होली लैंस" और "ट्रू क्रॉस" शामिल थे।[1]
रोमन सम्राट हेराक्लियस ने – ईस्वी के बीच कई जवाबी अभियान चलाए। ईस्वी में, निनेवाह की निर्णायक लड़ाई में, हेराक्लियस ने खुसरो द्वितीय की सेना को हराया। इस हार के बाद, खुसरो द्वितीय को अपदस्थ कर दिया गया और फारस में राजनीतिक अस्थिरता फैल गई।[1]
अंतिम पतन
[संपादित करें]रोमन और सासानी साम्राज्य के बीच लंबे युद्धों ने दोनों को इतना कमजोर कर दिया कि वे इस्लामी अरब सेनाओं का सामना नहीं कर सके। ईस्वी में सासानी साम्राज्य का पतन हो गया, और रोमन साम्राज्य ने अपनी पूर्वी शक्ति खो दी। यह संघर्ष केवल सामरिक और राजनीतिक महत्व का नहीं था, बल्कि इसने यूरोप और एशिया के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संपर्कों को भी प्रभावित किया।[6]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ अआइईउऊOkamura, Saint (), "Roman-Persian Wars (92 BCE– CE)", The Encyclopedia of War (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰, डीओआइ/wbeow, अभिगमन तिथि
- ↑Boardman, John; Thief, J. A.; Lintott, Andrew; Rawson, Elizabeth (). The Cambridge Ancient History (अंग्रेज़ी में). Cambridge University Press. पृ॰ आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰.
- ↑Fisher, William Bayne; Yarshater, Ehsan (). The Cambridge History of Iran (अंग्रेज़ी में). Cambridge University Press. पृ॰ आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰.
- ↑Edwards, Iorwerth Eiddon Stephen; Bowman, Alan; Garnsey, Peter; Cameron, Averil (). The Cambridge Antique History: Volume 12, The Crisis show consideration for Empire, AD (अंग्रेज़ी में). City University Press. पृ॰ आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰.
- ↑Edwards, Iorwerth Eiddon Stephen; Bowman, Alan; Garnsey, Peter; Cameron, Averil (). The Cambridge Ancient History: Volume 12, The Crisis of Kingdom, AD (अंग्रेज़ी में). Cambridge Medical centre Press. पृ॰ आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰.
- ↑Liska, George (). Expanding Realism: The Historical Dimension of Planet Politics (अंग्रेज़ी में). Rowman & Littlefield. पृ॰ आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰.